मनोरंजक कथाएँ >> रणबांका राठौर रणबांका राठौरआचार्य चतुरसेन
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प्रस्तुत है आचार्य चतुरसेन की एक साहस और वीरता से भरी कहानी रणबांका राठौर....
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
रणबांका राठौर
सम्वत् 1753 की बात है। सिरोही के ऊब़ड-खाबड़ और उजाड़ पहाड़ों की
एक कन्दरा में इक्कीस वर्ष का एक युवक बहुत-सी लकड़ियाँ जलाकर
उस पर
एक समूचे हिरन को भून रहा था। उसके कपड़े मैले और फटे हुए थे। कहना चाहिए
उनकी धज्जियाँ उ़ड गई थीं। परन्तु इन दरिद्र वस्त्रों में भी उसका तेजस्वी
मुख और लम्बी भुजाएँ छिप न सकी थीं। उसकी चमकीली गहरी काली आँखें उभरी हुई
छाती, घुँघराले काले-काले बाल और ऊँचा मस्तक उसके असाधारण व्यक्तित्व को
प्रकट कर रहे थे।
वह जो काम कर रहा था मानों उसका उसे काफी अभ्यास हो गया था। वह हिरन को भूनता जाता था।, साथ ही उस तंग और अँधेरी कंदरा को साफ भी करता जा रहा था। बड़ी तेज गरमी थी दोपर ढल चुकी थी। आग जलने से उसका मुँह लाल हो गया था। पसीना टप-टप टपक रहा था।
फिर भी वह बराबर फुर्ती से अपने काम में लगा हुआ था। यह जोधपुर का छद्मवेशी भावी राजा अजीतसिंह था, जिसे जीता या मरा पकड़ने के लिए सारे राजपूताने में बादशाह आलमगीर के जासूसों का जाल बिछा दिया गया था। और जिसके सिर का मूल्य एक लाख रुपया था।
वह दो मास से इसी पर्वत की उपत्यका में छिपता फिर रहा था। उसके यशस्वी और वीर सरदार दुर्गादास मेवाड़ की सहायता से बादशाही छावनियों को लूटते-पीटते इस समय जालौन के किले को घेरे पड़े थे। वहां से पल-पल में समाचार पाने की आशा थी। युवक राजा उत्सुकता से उसकी बाट जोह रहा था।
वह जो काम कर रहा था मानों उसका उसे काफी अभ्यास हो गया था। वह हिरन को भूनता जाता था।, साथ ही उस तंग और अँधेरी कंदरा को साफ भी करता जा रहा था। बड़ी तेज गरमी थी दोपर ढल चुकी थी। आग जलने से उसका मुँह लाल हो गया था। पसीना टप-टप टपक रहा था।
फिर भी वह बराबर फुर्ती से अपने काम में लगा हुआ था। यह जोधपुर का छद्मवेशी भावी राजा अजीतसिंह था, जिसे जीता या मरा पकड़ने के लिए सारे राजपूताने में बादशाह आलमगीर के जासूसों का जाल बिछा दिया गया था। और जिसके सिर का मूल्य एक लाख रुपया था।
वह दो मास से इसी पर्वत की उपत्यका में छिपता फिर रहा था। उसके यशस्वी और वीर सरदार दुर्गादास मेवाड़ की सहायता से बादशाही छावनियों को लूटते-पीटते इस समय जालौन के किले को घेरे पड़े थे। वहां से पल-पल में समाचार पाने की आशा थी। युवक राजा उत्सुकता से उसकी बाट जोह रहा था।
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